"दिलों की बात"
एक छोटे से गाँव में, जहाँ हर गली एक-दूसरे से जुड़ी हुई थी, वहाँ एक लड़का था, आदित्य। आदित्य एक साधारण लड़का था, लेकिन उसकी आँखों में कुछ खास था। वह किताबों का शौक़ीन था और अक्सर घर के आँगन में बैठकर पढ़ाई करता रहता। उसके दिल में हमेशा एक सवाल था—क्या उसे कभी ऐसा कोई मिलेगा, जिसके साथ वह अपने दिल की बात कर सके, जिस पर वह पूरी तरह से विश्वास कर सके।
आदित्य का एक पुराना दोस्त था, रिया। रिया, आदित्य के बचपन की सबसे करीबी दोस्त थी। वे दोनों हमेशा एक दूसरे के साथ खेलते थे, पढ़ाई करते थे, और कभी-कभी पुराने समय की बातें करते हुए घंटों गपशप करते थे। रिया के चेहरे पर एक मुस्कान हमेशा बनी रहती थी, और आदित्य को उसकी यह मुस्कान बहुत आकर्षित करती थी। लेकिन आदित्य ने कभी अपनी भावनाओं को रिया के सामने नहीं रखा, क्योंकि वह डरता था कि कहीं उनकी दोस्ती खराब न हो जाए।
रिया भी आदित्य को बहुत पसंद करती थी, लेकिन वह अपनी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करने से हमेशा कतराती थी। वह जानती थी कि आदित्य उसकी सबसे बड़ी सहेली है, लेकिन क्या वह उसे उसी तरह महसूस करता था? यही सवाल हमेशा उसके मन में रहता था। हालांकि, दोनों एक-दूसरे के करीब थे, फिर भी उनके बीच एक छोटी सी दीवार खड़ी थी, जो उन्हें अपने दिल की बात कहने से रोकती थी।
एक दिन, गाँव में मेला लगा हुआ था। आदित्य और रिया दोनों उस मेले में गए। रिया ने आदित्य को कहा, “तुम हमेशा पढ़ाई में डूबे रहते हो, कभी मस्ती करो। आज हमें सब भूलकर मेला देखना चाहिए।” आदित्य हंसते हुए बोला, “तुम सही कह रही हो, मुझे कभी-कभी इस दुनिया से बाहर आकर कुछ अलग करना चाहिए। चलो, आज का दिन सिर्फ हमारे लिए है।”
दोनों ने मेला देखा, झूले झूलें, मिठाई खाई और मस्ती की। इस दिन का सबसे खास पल तब आया जब वे दोनों एक बड़े झूले पर बैठे। रिया ने आदित्य से कहा, “देखो, हम दोनों कितना दूर जा रहे हैं। क्या तुम कभी सोचते हो कि हम दोनों हमेशा एक-दूसरे के साथ रहेंगे?” आदित्य का दिल अचानक तेज़ी से धड़कने लगा। यह सवाल उसके दिल के बहुत करीब था। वह गहरे में सोचने लगा कि क्या वह रिया के बिना कभी खुश रह सकता है?
आदित्य ने धीरे से कहा, “रिया, तुम्हारी हर बात मुझे बहुत खास लगती है। तुम्हारे साथ वक्त बिताना मुझे हमेशा अच्छा लगता है। मैं भी कभी यह नहीं सोच पाया कि तुमसे दूर रहूँ।” रिया ने उसकी बातों को ध्यान से सुना और मुस्कुराई। वह जानती थी कि आदित्य भी उसे वैसे ही महसूस करता है, जैसे वह आदित्य को महसूस करती थी।
लेकिन फिर भी, रिया ने अपने दिल की बात कहने में थोड़ी हिचकिचाहट दिखाई। “तुमसे मिलने से पहले, आदित्य, मैं सोचती थी कि प्यार क्या होता है, और अब मुझे लगता है कि शायद मैं जान चुकी हूँ। मुझे लगता है कि मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगी हूँ, लेकिन मैं डरती हूँ कि कहीं हमारी दोस्ती खतरे में न पड़ जाए।” रिया की आँखों में एक हल्की सी चिंता थी, लेकिन उसकी आवाज़ में एक सच्चाई थी, जो आदित्य के दिल को छू गई।
आदित्य ने उसका हाथ gently पकड़ा और कहा, “रिया, मुझे भी तुमसे बहुत प्यार है। हम दोनों के बीच जो कुछ भी है, वह सिर्फ दोस्ती नहीं है। यह एक खास एहसास है, जो समय के साथ और भी गहरा हुआ है। मैं तुमसे कभी दूर नहीं जाना चाहता।” इन शब्दों को सुनकर रिया की आँखों में आंसू आ गए, लेकिन यह आंसू खुशी के थे। उसे अब यकीन हो गया था कि आदित्य भी वही महसूस करता है, जो वह खुद महसूस करती थी।
उस दिन के बाद, आदित्य और रिया की दोस्ती एक नई दिशा में बढ़ी। वे अब अपने रिश्ते को शब्दों में और ज्यादा स्पष्ट रूप से व्यक्त करने लगे थे। वे एक-दूसरे के लिए समय निकालते थे, छोटे-छोटे पल बिताते थे, और एक-दूसरे की पसंद-नापसंद को और भी ज्यादा समझने लगे थे। उनके बीच का प्यार अब केवल शब्दों का नहीं, बल्कि एक गहरी समझ और एकता का प्रतीक बन गया था।
कुछ महीनों बाद, एक शाम जब आकाश में हल्की सी चाँदनी फैली हुई थी, आदित्य और रिया एक बगीचे में बैठे थे। रिया ने आदित्य से कहा, “क्या तुमने कभी सोचा था कि हम दोनों एक-दूसरे से इतना प्यार करेंगे?” आदित्य ने उसकी ओर देखा और कहा, “नहीं, लेकिन अब मुझे लगता है कि हमारा मिलना और एक-दूसरे के पास रहना यही हमारा मुक़द्दर था। मैं हमेशा तुम्हारे पास रहना चाहता हूँ, रिया।”
रिया ने आदित्य की आँखों में देखा और कहा, “मैं भी, आदित्य। मुझे लगता है कि हम दोनों के बीच कुछ खास है, जो हमेशा हमें एक-दूसरे के करीब रखेगा।” और उस पल, दोनों ने एक दूसरे के हाथों को मजबूती से पकड़ लिया, यह जानते हुए कि उनका प्यार अब एक नई शुरुआत की ओर बढ़ रहा था, जो समय के साथ और भी गहरा होता जाएगा।
No comments:
Post a Comment